फाइलेरिया क्या है?, जाने इसके लक्षण, कारण, इलाज|
हाथी पांव, जिसे वैज्ञानिक भाषा में फाइलेरिया (Elephantiasis) या लिम्फैटिक फिलारीसिस (Lymphatic Filariasis) कहा जाता है, यह एक गंभीर और विकृत करने वाला संक्रमण है जो शरीर के लिम्फ सिस्टम को प्रभावित करता है। यह रोग खासतौर पर उन क्षेत्रों में अधिक होता है, जहां मच्छरों के माध्यम से रोग का प्रसार होता है। इस रोग के कारण शरीर के अंगों का आकार बढ़ जाता है, खासकर पैरों का, जो हाथी के पांव की तरह दिखाई देता है, इसी कारण इसे "हाथी पांव" कहा जाता है। इस लेख में हम हाथी पांव के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसमें इसके लक्षण, कारण, इलाज, बचाव और आहार शामिल होंगे।
फाइलेरिया (Filaria) - हाथी पांव क्या है?
हाथी पांव या फाइलेरिया रोग एक परजीवी जनित रोग है, जो फाइलेरिया नामक कीटाणु से संक्रमण होता है। यह रोग लिम्फैटिक सिस्टम को प्रभावित करता है, जो शरीर के अंदर तरल पदार्थों (लिम्फ) के संचरण का
जिम्मेदार होता है। फाइलेरिया के परजीवी कीटाणु वुचेरिया बैंक्रोफ्टी, ब्रूकेटा मालेयाई और ब्रूकेटा टिमोरी हैं, जो मच्छरों के
माध्यम से मनुष्यों में फैलते हैं। जब मच्छर किसी भी संक्रमित व्यक्ति को काटते
हैं, तो परजीवी व्यक्ति के शरीर
में प्रवेश कर जाते हैं और लिम्फैटिक सिस्टम में फैलकर लसीका वाहिकाओं (lymphatic vessels) को प्रभावित कर देते हैं।
फाइलेरिया (Filaria) के लक्षण
फाइलेरिया रोग के लक्षण समय के साथ बढ़ते हैं और इसमें विभिन्न प्रकार के
लक्षण होते हैं। शुरुआती चरण में इसके लक्षण नज़र नहीं आते हैं, लेकिन जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, इसके लक्षण अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। इसके कुछ प्रमुख
लक्षण नीचे दिए गए हैं|
- सूजन (Swelling): हाथी पांव का मुख्य लक्षण शरीर के विभिन्न हिस्सों में
सूजन होना है, खासकर
पैरों, अंडकोष, हाथों, या स्तनों में। यह सूजन धीरे-धीरे बढ़ती है और आकार
में हाथी के पांव जैसा दिखाई देती है।
- दर्द और
जलन: संक्रमित
अंग में दर्द, जलन और
भारीपन महसूस हो सकता है।
- बुखार: संक्रमण के कारण बुखार आ सकता है, जो आमतौर पर समय-समय पर होता है।
- त्वचा में
बदलाव: सूजन के
कारण त्वचा में बदलाव आ सकते हैं,
जैसे कि सूखापन, मोटापन, या
झुर्रियां पड़ना।
- इन्फेक्शन
(संक्रमण): प्रभावित
हिस्से में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जिससे घाव और फोड़े भी हो सकते हैं।
- गंभीर
विकृति: समय के
साथ, लिम्फैटिक
सिस्टम पर अधिक दबाव पड़ने से अंगों में स्थायी विकृति हो सकती है।
फाइलेरिया (Filaria) के कारण
फाइलेरिया का मुख्य कारण परजीवी (वुचेरिया बैंक्रोफ्टी, ब्रूकेटा मालेयाई, और ब्रूकेटा टिमोरी) होते हैं, जो मच्छरों के माध्यम से मनुष्यों में फैलते हैं। जब मच्छर इन परजीवियों से संक्रमित होते हैं, तो वे किसी व्यक्ति को काटते समय परजीवी को उनके रक्त में छोड़ देते हैं। यह परजीवी रक्त प्रवाह के माध्यम से शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचते हैं, विशेष रूप से लिम्फैटिक सिस्टम में, जहां वे लसीका वाहिकाओं को अवरुद्ध कर देते हैं। इस अवरोध के कारण लसीका द्रव (lymph fluid) का संचरण सही तरीके से नहीं हो पाता, और शरीर के अंगों में सूजन और विकृति उत्पन्न होती है।
फाइलेरिया (Filaria) का इलाज
हाथी पांव का इलाज एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, लेकिन सही समय पर उपचार से इस रोग को नियंत्रित किया जा
सकता है। इस रोग के इलाज में मुख्यत: दवाइयों का उपयोग किया जाता है। उपचार के कुछ
प्रमुख तरीके इस प्रकार हैं:
- एंटीफाइलेरियल
दवाइयां: फाइलेरिया
के उपचार के लिए विशेष एंटीफाइलेरियल दवाइयां जैसे Diethylcarbamazine (DEC), Ivermectin, और Albendazole का उपयोग किया जाता है। ये दवाइयां शरीर
में परजीवियों की वृद्धि को रोकने और उनके नष्ट होने में मदद करती हैं।
- लसीका
वाहिकाओं का उपचार: लसीका
प्रणाली के अवरुद्ध होने के कारण सूजन को कम करने के लिए, विशेष दबाव वस्त्र (Compression garments) का उपयोग
किया जाता है। इन वस्त्रों से अंगों की सूजन को नियंत्रित किया जा सकता है।
- सर्जरी: अगर रोग गंभीर हो और सूजन अत्यधिक बढ़ जाए, तो सर्जरी का भी विकल्प हो सकता है। सर्जरी
में प्रभावित अंगों की अतिरिक्त त्वचा को हटाना या लिम्फैटिक वाहिकाओं के
माध्यम से द्रव को निकालने का प्रयास किया जाता है।
- संक्रमण
का इलाज: यदि सूजन
या सूजन वाले हिस्से में संक्रमण हो, तो एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है।
फाइलेरिया (Filaria) से बचाव
फाइलेरिया से बचाव के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं:
- मच्छरों
से बचाव: चूंकि यह
रोग मच्छरों के माध्यम से फैलता है, इसलिए मच्छरों से बचाव करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मच्छरदानी का उपयोग करें, मच्छर
रोधी क्रीम लगाएं, और
मच्छरों के प्रजनन स्थलों को साफ रखें।
- स्वच्छता
बनाए रखना: शरीर की
सफाई और स्वच्छता बनाए रखें, ताकि
संक्रमण का खतरा कम हो।
- नियमित
दवाएं: उन
क्षेत्रों में जहां फाइलेरिया का खतरा अधिक होता है, वहां पर नियमित रूप से एंटीफाइलेरिया दवाओं
का सेवन किया जा सकता है। इन दवाओं से रोग के प्रसार को रोका जा सकता है।
- स्वास्थ्य
जागरूकता: समुदाय को
फाइलेरिया के बारे में जागरूक करना भी महत्वपूर्ण है। इससे लोग मच्छरों से
बचाव के उपायों को जान सकेंगे और समय पर उपचार ले सकेंगे।
फाइलेरिया (Filaria) में आहार
फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को संतुलित और पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है, ताकि शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाया जा सके। सही
आहार से शरीर की सूजन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और उपचार की प्रक्रिया
तेज होती है। हाथी पांव में आहार के कुछ सुझाव:
- प्रोटीन
से भरपूर आहार: प्रोटीन
शरीर की मरम्मत और सूजन को कम करने में मदद करता है। दालें, अंडे, मांस, मछली, और दही जैसे प्रोटीन स्रोतों का सेवन करें।
- फाइबर और
विटामिन: हरी
सब्जियां, फल, और अनाज में फाइबर और विटामिन होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाते
हैं। यह शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
- पानी और
तरल पदार्थ: शरीर की
जल स्तर को बनाए रखने के लिए पानी और तरल पदार्थों का सेवन करें, क्योंकि इससे सूजन कम करने में मदद मिलती
है।
- कम सोडियम: अधिक नमक का सेवन शरीर में पानी को जमा कर
सकता है, जिससे
सूजन और बढ़ सकती है। इसलिए कम सोडियम वाले आहार का सेवन करना बेहतर है।
हाथी पांव एक गंभीर बीमारी है जो लिम्फैटिक
सिस्टम को प्रभावित करती है और इसके कारण शरीर के अंगों में विकृति और सूजन हो
सकती है। यह रोग मच्छरों के माध्यम से फैलता है और परजीवियों द्वारा शरीर में
प्रवेश करता है। सही समय पर इलाज और बचाव के उपायों से इस रोग को नियंत्रित किया
जा सकता है। आहार, स्वच्छता, और मच्छरों से बचाव के उपाय इस रोग से बचने के लिए
महत्वपूर्ण हैं।
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